कोरोना से बढ़ा मध्य प्रदेश में वित्तीय संकट, 20 दिन में सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान

 




09 Apr. 2020 09:45




 









 



भोपाल. कोरोना (corona) का असर प्रदेश लोगों की सेहत के साथ सरकारी खज़ाने पर भी पड़ा है. लॉक डाउन (lockdown) के 2 हफ्ते बीतने के बाद सरकार की वित्तीय हालत बुरी तरीके से प्रभावित हुई है. 14 अप्रैल तक लॉक डाउन खत्म होने पर सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान होने का अनुमान है. मार्च में सरकार को लेकर मचे सियासी ड्रामे के बाद रही-सही कसर लॉक डाउन ने पूरी कर दी. इस संकट से निपटने के लिए सरकार ने बुधवार देर रात 4 सदस्यीय समिति का गठन किया है. यह समिति सरकार को आर्थिक संकट से उबरने के सुझाव देगी. एसीएस फाइनेंस अनुराग जैन को इसका को ऑर्डिनेटर बनाया गया है.


मध्य प्रदेश में वित्तीय संकट आ खड़ा हुआ है. पहले सरकार को लेकर जारी उठापटक फिर सत्ता परिवर्तन और अब लॉक डाउन. काम धंधा, दफ्तर सब बंद हैं. ये नुक़सान कितना ज़्यादा है इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि मार्च के महीने में रजिस्ट्री करने वालों की संख्या 35 से 40 फीसदी से भी कम रही. केंद्र सरकार से मिलने वाली राशि भी अटकी हुई है. होटल रेस्टोरेंट की आमदनी ना के बराबर हुई है. सिनेमा हॉल-मॉल बंद हैं इसलिए सरकार को टैक्स में भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. लोगों की आवाजाही बंद होने से पेट्रोल और डीजल की खपत भी न के बराबर है.


1800 करोड़ के नुक़सान का अनुमान


इस साल वाणिज्य कर विभाग के पास 54 हजार 888 करोड़ रुपए की कर वसूली का टारगेट था. अब इसमें अट्ठारह सौ करोड़ रुपए का नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है. कोरोना का असर ज़मीन-मकान और दुकान की रजिस्ट्री पर भी दिखाई दे रहा है. मार्च में हर साल जितने लोग रजिस्ट्री कराने आते थे उनकी संख्या में 30 से 40 फीसदी की कमी आई है. रजिस्ट्री से राज्य सरकार को 65 सौ करोड़ के राजस्व वसूली की उम्मीद थी लेकिन कोरोना की मार ने उसकी सारी प्लानिंग फेल कर दी है.


थोड़ी-थोड़ी पिया करो


कोरोना का असर शराब से होने वाली आमदनी पर भी पड़ा है. मुख्यमंत्री शिवराज के शराब बिक्री पर रोक लगाने के निर्देश के बाद अब शराब की दुकानें पूरी तरह बंद हैं. इस वजह से आबकारी विभाग को होने वाली आय भी घटने के पूरे आसार हैं. इस बार विभाग को 11500 करोड़ रुपए आय का अनुमान था. लेकिन अब इसमें 200 से 300 करोड़ के नुकसान की आशंका है.


डीए पर रोक


निर्माण कार्य बंद होने का सीधा असर माइनिंग पर पड़ा है. इससे सरकार को होने वाली आय बुरी तरीके से प्रभावित हुई है. जीएसटी लागू होने के बाद केंद्र सरकार से जो क्षतिपूर्ति राशि मिलना है वो पैसा भी अभी राज्य को नहीं मिला है. यदि लॉक डाउन की अवधि बढ़ाई जाती है तो इसका असर भी सरकार के खजाने पर पड़ेगा. कुल मिलाकर कोरोना का असर सरकार के लिए भी बड़ा नुकसानदेह साबित हो रहा है. यही कारण है की तत्कालीन कमलनाथ सरकार के कर्मचारियों को पांच फीसदी डीए देने के फैसले को मौजूदा शिवराज सरकार ने रोक दिया है.


पटरी से उतर रही है गाड़ी


रबी फसल की खरीदी एक अप्रैल से शुरू होती है जो लॉक डाउन के कारण सरकार ने इस बार 15 अप्रैल से शुरू करने का फैसला किया है.इसके लिए भी सरकार को करोड़ों रुपए की जरूरत होगी. कांग्रेस ने समर्थन मूल्य पर चना, मसूर और सरसों की खरीदी करने की मांग की है. ऐसे में सरकार के सामने अपने मौजूदा वित्तीय संसाधनों के साथ स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना, जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाने की बड़ी चुनौती है. लॉक डाउन के दो हफ्तों में ही अर्थ व्यवस्था की गाड़ी पटरी से उतर गयी है. अगर ये और लंबा खिंचा तो इसका असर प्रदेश में अटके बड़े प्रोजेक्ट्स पर भी दिखाई देगा जिसकी मार बरसों तक महसूस होगी.


समिति का गठन


प्रदेश सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण के कारण पैदा आर्थिक संकट से निपटने के लिए 4 सदस्य समिति का गठन किया है. यह समिति सरकार को आर्थिक संकट से उबरने के सुझाव देगी. एसीएस फाइनेंस अनुराग जैन को इसका को ऑर्डिनेटर बनाया गया है. पूर्व वित्त सचिव केंद्र सरकार सुमित बोस, डायरेक्टर एन आई पी एफ पी रथिन राय, आईआईएम इंदौर के प्रोफेसर गणेश कुमार और महानिदेशक प्रशासन अकादमी एपी श्रीवास्तव इसके सदस्य होंगे.